विकास सहारण बनी सेवा और समर्पण की मिसाल

दिहाडी मजदूरों को खाना खिला रहीं है विकास सहारण
पति एसडीएम सहारण का भी मिल रहा सहयोग
- प्रदीप कुमार वर्मा
धौलपुर / जयपुर। देश भर में छाए कोरोना संकट काल में शासन और सरकार से
लेकर एनजीओ तथा अन्य ऐजेंसियां राहत और बचाव के काम में जी जान से जुटीं
हैं। केन्द्र और राज्य सरकार के साथ-साथ हर कोई अपनी सामथ्र्य और समर्पण
के साथ में प्रभावितों को राहत पहुंचने के लिए कार्य कर रहा है। प्रदेश
के प्रशासनिक अधिकारी कोरोना वारीयर्स के रुप में अपनी भूमिका का निर्वहन
कर रहे हैं,तो उनके परिजन भी मानवता के इस सेवाकार्य पीछे नहीं हैं। हम
बात कर रहे हैं जयपुर जिले के चाकसू उपखंड अधिकारी ओमप्रकाश सहारण की।
सहारण,जहां अपने प्रशासनिक दायित्वों को बखूबी निभा रहे हैं, वहीं उनकी
पत्नी विकास सहारण लॉक डाउन के इस दौर में रोजाना सौ दिहाड़ी मजदूरों को
खाना खिलाकर अपने सामाजिक सरोकार निभा रही हैं। विकास के इस सेवाकार्य से
दिहाडी मजदूरों को संबल मिल रहा है। उच्च शिक्षा प्राप्त विकास सहारण
अलसुबह उठती हैं। खुद सब्जी काटती हैं, आटा गूथती हैं, चावल पकाती है और
फिर तैयार खाने को पैकेट में डालने तक का काम वो खुद करती हैं। इस काम
में उनकी दो बेटियां नव्या और पूर्वा भी हाथ बंटाती हैं। पूरा सहारण
परिवार सुबह के चार घंटे खाना बनाने में लगाता है। सुबह के आठ बजते-बजते
उपखंड अधिकारी सहारण जरुरतमंद सौ लोगों का खाना लेकर रवाना होते हैं।
एसडीएम सहारण स्वंय चाकसू के जरुरतमंदों को खाना पहंचाते हैं। इनमें
ज्यादातर वो दिहाड़ी मजदूर होते हैं जो लॉक डाउन के चलते काम नहीं मिलने
से रोजी-रोटी के संकट का सामना कर रहे हैं। लॉक डाउन के दिन से ही विकास
सहारण इस पुण्य कार्य में जुटी हुई हैं तथा विकास का कहना है कि जब तक
लॉक डाउन रहेगा तब तक वो इस सिलसिले को जारी रखेंगी। विकास सहारण बतातीं
हैं कि इस सेवाकार्य में उन्हें उनके पति ओपी हारण का पूरा सहयोग मिल रहा
है। जरुरतमंद लोगों के लिए खाना बनाने में किसी चीज की कमी न रहे इसलिए
एसडीएम पति पूरा ख्याल रखते हैं। एक-दो दिन में वक्त निकालकर सब्जी, दाल,
आटा और चावल खुद खरीदकर लाते हैं। विकास बतातीं हैं कि साथ ही वक्त मिलने
पर कभी कभार एसडीएम साहब भी खाना बनाने में उनका सहयोग करते हैं। विकास
बतातीं हैं कि संकट काल में वह बस मानवता के लिए काम रही हैं। वो कहती
हैं इंसान को अपनी श्रद्धानुसार सत्कर्म और दान देते रहना चाहिए।  किसी
गरीब बेसहारा का अगर हम संकट काल में सहारा बन पाये तो हमारा जीवन सफल
है। मुश्किलों से हमने मुंह मोड़ा तो फिर हम इंसान कैसे कहला सकते हैं।
विकास के इस सेवाकार्य की हर कोई सराहना कर रहा है।